
एंकर फीमेल- यहाँ पधारे सभी अतिथि गुणीजनों का, हमारे देश को नेतृत्व प्रदान करने वाले सभी सम्मानीय जन प्रतिनिधि गणों का एवम विराजित सभी श्रद्धेय गुरुजनों का, मैं ………………….हमारे विद्यालय (विद्यालय/कॉलेज का नाम) की ओर से इस बार्षिकोत्सव के समारोह में आपका सादर अभिवादन करती हूँ, अभिनंदन करती हूँ, स्वागत करती हूँ।
एंकर मेल- देश का नया कल संवारने को आतुर, अपनी सोच अपने व्यक्तित्व को निखारने को आतुर हम बच्चों के लिये, आप सब का सत्संग-आपके अमूल्य वचन और आप सबकी सतत बहती अक्षत ऊर्जा एक वरदान की तरह है।
इस ऊर्जा की सहायता से हम सब विद्यार्थीगण अपने अपने चरित्र का का नव निर्माण कर पायेंगे। अतीव विनम्रता के साथ मैं………………, आप सब विशिष्ट जनों को प्रणाम करते हुए चार पंक्तियाँ समर्पित करता हूँ कि…
सितारों को मुट्ठी में दबाकर हम चाँद से बात कर लेंगे 
सूरज से तेवर छीन लेंगें दहकते दिन को रात कर देंगे 
आप का साथ और गुरुओं का सिर पर हाथ रहेगा तो 
चाहे गौरी आये या गोरे आयें सबसे दो दो हाथ कर लेंगे 
(*गौरी-मोहम्मद गौरी, गोरे-अंग्रेज)
 एंकर फीमेल- हृदय की बात कह दी ………………(एंकर मेल) आपने तो। 
हमारे वरिष्ठ गुणीजन, हमारे अभिभावकों का आशीर्वाद हम बच्चों को प्राप्त होता रहे, फिर तो दुनिया की ऐसी कोई जंग नहीं जो हम ना जीत सकें, 
ऐसी कोई दुश्वारियाँ नहीं जिनसे हम निकल ना सकें। 
और फिर हमारे गुरुजनों की तो बात ही अलग है, उनकी दी हुई शिक्षा और मार्गदर्शन का तो कोई मूल्य ही नहीं। हमारे गुरुजन तो ऐसे हैं कि…
ना गिनकर सिखाते हैं 
ना तोलकर सिखाते हैं 
हमारे गुरु जब भी सिखाते हैं 
 दिल खोल कर सिखाते हैं 
साथियो, एक बार जोरदार तालियाँ हमारे गुरुजनों के लिए और अतिथियों के लिए बजा दीजिये।